बारिश से मंडी में फंसे किसान, भीगे धान और लापरवाही पर जताया रोष
सितारगंज। अचानक हुई बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। कृषि मंडी में बिक्री के लिए लाया गया किसानों का धान खुले आसमान के नीचे रखा था, जिस पर बारिश की बूंदें पड़ते ही पूरा अनाज भीग गया। मंडी परिसर में जलभराव होने से स्थिति और भी खराब हो गई।
सुबह से ही किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचे थे, उम्मीद थी कि जल्द तौल और बिक्री हो जाएगी। लेकिन दोपहर में मौसम अचानक बदल गया और तेज बारिश शुरू हो गई। मंडी परिसर में न तो पर्याप्त तिरपाल की व्यवस्था थी और न ही अनाज को ढकने के लिए शेड। जो शेड मौजूद थे, वे पहले से ही अन्य किसानों के धान से भरे हुए थे। देखते ही देखते सूखने के लिए खुले आसमान के नीचे रखी बोरियों में सारा धान भीग गया।
किसानों ने प्रशासन और मंडी समिति पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि हर साल यही समस्या दोहराई जाती है। बारिश होते ही मंडी परिसर में जलभराव हो जाता है और खुले में रखा अनाज खराब हो जाता है। अब किसानों को धान सूखने का इंतजार करना पड़ेगा, जिससे बिक्री में देरी और आर्थिक नुकसान दोनों का खतरा बढ़ गया है।
किसान जसवंत सिंह ने बताया, “हम चार–पांच दिन से मंडी में बैठे हैं। धान की तौल होने से पहले ही बारिश शुरू हो गई और हमारा सारा अनाज भीग गया। मंडी में न तिरपाल की व्यवस्था है, न शेड। अब हमें चार–पांच दिन और रुकना पड़ेगा जब तक धान सूख न जाए।”
एक अन्य किसान ने कहा कि प्रशासन सिर्फ दावे करता है, लेकिन जमीन पर कोई तैयारी नहीं दिखती। हर साल किसान यही परेशानी झेलते हैं और उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है।
किसानों ने सरकार से मांग की है कि मंडी में धान की तौल प्रक्रिया में तेजी लाई जाए और परिसर में स्थायी भंडारण एवं सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न दोहराई जाए।