द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली सैकड़ों भक्तों की जयकारों , महिलाओं के धार्मिक मागंलो व स्थानीय वाध्य यंत्रों की मधुर धुनों के साथ राकेश्वरी मन्दिर से अगले पड़ाव के लिए रवाना हो गयी है। आज दोपहर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी।
राकेश्वरी मन्दिर से रवाना हुई भगवान मदमहेश्वर की डोली
कल भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्रह्म बेला पर गौण्डार गांव से प्रस्थान करेगी और विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट वेद ऋचाओं के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओ की मौजूदगी में ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे।
यात्रियों के आने से यात्रा पड़ावों पर लौटी रौनक
द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की यात्रा का आगाज कल से होने जा रहा है। जिसके लिए तीर्थयात्री मदमहेश्वर घाटी के गांवों में पहुंचने लगे हैं। तीर्थ यात्रियों के मदमहेश्वर घाटी आवागमन से विभिन्न यात्रा पड़ावों पर रौनक लौटने लगी है। यात्रा के आगाज के साथ ही रोजाना आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में और इजाफा देखने को मिलेगा।
यहां होती है नाभि की पूजा
आपको बता दें कि उत्तराखंड के पंचकेदार में भगवान शिव के पांच अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। भोले के भक्त केदारनाथ में बैलरूपी शिव के कूबड़ की, तुंगनाथ में भुजाओं की, रुद्रनाथ में मस्तक की, मद्महेश्वर में नाभि की और कल्पेश्वर में जटाओं की पूजा करके पुण्यफल प्राप्त करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति मद्महेश्वर मंदिर में जाकर भगवान शिव की नाभि का दर्शन और पूजन करता है उस पर महादेव की असीम कृपा बरसती है।