शंखनाद/INDIA/विजय उप्रेती/पिथौरागढ़ः पर्वतीय क्षेत्रों में जंगलों की सुरक्षा के लिए बने कानूनों पर ग्रामीणों की आस्था भारी पड़ रही है। वन संपदा व पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण क्षेत्र की जनता वर्षों से देवी-देवताओं के शरण में जाती आ रही है। ग्रामीणों द्वारा क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली व न्याय करने वाले देवी-देवताओं को जंगल समर्पित कर उन्हें बचाया जा रहा है। इसी क्रम में अब जिला मुख्यालय के नजदीकी धारी-धमौड़ा के ग्रामीणों ने भी वन पंचायत के जंगल को आगामी पांच साल के लिए न्याय की देवी कोटगाड़ी को समर्पित कर दिया है।

सोमवार को धारी धमौड़ा के ग्रामीणों ने पूरे गाजे-बाजे व विधि-विधान के साथ 100 नाली क्षेत्र में फैले वन पंचायत के जंगल को कोटगाड़ी माता को समर्पित किया। ग्राम प्रधान जानकी जोशी व वन सरपंच उमेश चंद्र जोशी ने बताया कि जंगल में बुरांश, भीमल, चीड़ समेत विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटी के पौधे हैं। माता को जंगल समर्पित करने से पेड़ों के अवैध कटान, अवैध खनन पर अंकुश लगेगा और वन्यजीव भी सुरक्षित जीवनयापन कर सकेंगे।

सरपंच जोशी ने बताया कि इससे पूर्व इस संबंध में ग्रामीणों की एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें वन पंचायत के समस्त हकदारों ने सर्वसम्मति से जंगल को कोटगाड़ी माता को समर्पित करने का फैसला लिया था। उन्होंने कहा कि यदि इसके बावजूद जबरन कोई जंगल का दोहन करेगा तो इससे होने वाले दैवीय नुकसान के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा।