पहाड़ियों के खिलाफ अपशब्द बोलने के विरोध में भू-कानून संघर्ष समिति एक मार्च को “स्वाभिमान मशाल जुलूस” निकालेगी। एक मार्च को प्रदेशभर में शाम छह बजे स्वाभिमान मशाल जुलूस निकाला जाएगा। मूल निवास भू-क़ानून संघर्ष समिति ने सभी सामाजिक संगठनों और आम जनता से मशाल जुलूस निकालने का आह्वान किया है।
1 मार्च को निकाला जाएगा “स्वाभिमान मशाल जुलूस”
मूल निवास भू-क़ानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि पहाड़ की अस्मिता पर लगातार चोट की जा रही है। पहाड़ के लोगों को सड़कों पर तो गालियां दी ही जा रही है और अब विधानसभा के अंदर पहाड़ के लोगों को गाली दी जा रही है। लेकिन एकाध विधायक को छोड़कर किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। इससे पता चलता है कि पहाड़ के प्रति विधायकों की कैसी मानसिकता है। इसके विरोध में एक मार्च को “स्वाभिमान मशाल जुलूस” निकाला जाएगा।
प्रेमचंद अग्रवाल व ऋतु खंडूरी को हटाने की मांग
मोहित डिमरी का कहना है कि कहा कि विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड के लोगों की भावनाएं आहत कर रहे हैं। पक्ष और विपक्ष एक सिक्के के दो अलग-अलग पहलू हैं। इन्हें पहाड़ के अस्तित्व और इसके संसाधनों को बचाने की चिंता नहीं है। सरकार ने एक बार फिर कमजोर भू-क़ानून बनाकर माफ़िया के लिए लूट के रास्ते तैयार किया है। सरकार की इन जनविरोधी नीतियों का प्रतिकार किया जाएगा।
मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के सह-संयोजक लूशुन टोडरिया,उत्तराखंड बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा ये समय राज्य के मूल निवासियों को संगठित करने का है, इसलिए जरुरी है कि प्रदेश भर के संगठन एकजुटता का परिचय दें और पर्वतीय समाज के लिए अपशब्द बोलने वाले प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्रीपद और ऋतु खंडूरी को विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाने की मांग को लेकर एकजुट हों।
विधानसभा के अंदर पहाड़ को किया जा रहा अपमानित
मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिमांशु रावत, पहाड़ी स्वाभिमान सेना के पंकज उनियाल, प्रमोद काला का कहना है कि ये राज्य हमें बड़े संघर्षों के बाद मिला है। लेकिन यहां विधानसभा के अंदर ही पहाड़ को अपमानित किया का रहा है। ऐसे अपमान को राज्य के मूल निवासी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं कर सकते। अब सभी को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए एक बड़ा आंदोलन करना होगा। इसके सात ही समिति का कहना है कि पहाड़ के लोगों ने इस राज्य की लड़ाई में अपना बलिदान दिया और आज इन्ही पहाड़ के लोगों के लिए अपशब्द का प्रयोग किया जा रहा है। पहाड़ के लोगों के लिए अपशब्द का प्रयोग करने वाले नेताओं का बहिष्कार किया जाएगा।