शंखनाद INDIA/ अजय तिवारी/ उत्तराखण्ड -: कांग्रेस नेता हरीश रावत के बयान के मायने-कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश चन्द्र सिंह रावत ने एक बयान देकर सब को चौंका दिया,पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह तथा वयोवृद्ध कांग्रेस नेत्री इंदिरा हिर्दयेश काग्रेंस की और से बेहतर मुख्यमंत्री के दावेदार हो सकते हैं।
हरीश रावत राजनीति के कुशल खिलाड़ी हैं तथा कब क्या बयान देना है वै भली भांति जानते हैं तथा उनके इस बयान के पीछे भी उनकी कुशल तथा दूरगामी राजनैतिक गणित समझी जा सकती है ।पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके साथ ही कहा कि राजनीति में पद पैसा कमाने का माध्यम नही होना चाहिए इसके पीछे उनके निशाने पर कहीं ना कहीं विपक्ष था।अब बात करें कि आखिर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जो कि अपने समर्थकों में हरदा के नाम से लोकप्रिय हैं उन्होंनें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह तथा विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हिर्दयेश का नाम कांग्रेस की और से मुख्यमंत्री के दावेदारों में क्यों आगे किया।
अब जबकि उत्तराखण्ड प्रदेश में विधानसभा चुनाव आसन्न हैं तथा इस बार जो राजनैतिक हालात लग रहे हैं वे विगत विधान सभा चुनावों से इतर होंगे पिछली बार भाजपा ने मोदी लहर में एक तरफा विधान सभि चुनाव जीता था, लेकिन 2022 विधान सभा के चुनाव अलग माहौल में होगें तथा इस बार कोई लहर नजर नही आ रही है।यद्यपि भाजपा का संगठनात्मक ढांचा कांग्रेस के वनिस्पत मजबूत है लेकिन एंटी इन्कम्बैंसी आर्थात सरकार के प्रति मतदाताओं में नाराजगी भी एक कारक हो सकता है।
दूसरा महंगाई,रसोई गैस की कीमत, किसान आंदोलन भी भाजपा के लिए आगामी विधान सभा चुनावों में परेशानी का कारक बन सकती हैं।खैर ये तो बात रही भाजपा की अब बात करें हरीश रावत के उस राजनैतिक बयान की ,हरीश रावत राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं तो हैं ही लेकिन यह भी सत्य है कि उत्तराखण्ड काग्रेंस में उनका कद बहुत बड़ा है तथा विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हिर्दयेश तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का हरीश रावत से दूर दूर तक कोई मुकाबला नही है ,इसके साथ ही यह भी सर्वविदित है कि इंदिरा हिर्दयेश तथा प्रीतम सिंह का भले अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बड़ा जनाधार हो लेकिन अपने क्षेत्र से बाहर इनका जनसमर्थन अधिक नही है जबकि हरीश रावत प्रदेश स्तर पर संगठन तथा जनता के बीच आज भी मजबूत पकड़ रखते हैं तथा कांग्रेस में उनके जितना कुशल राजनीति का खिलाड़ी प्रदेश स्तर पर नही है।वर्तमान में कांग्रेस अब भी गुटबाजी में बंटी है जिसके संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुटकी लेते हुए कहा था कि उनका कोई गुट नही है,बल्कि वे तो स्वंय लकड़ी के उस गुटके के समान हैं जो कहीं भी फिट हो सकता है।
यहां यह भी सर्व विदित है कि प्रीतम सिंह तथा इंदिरा हिर्दयेश यदि कांग्रेस प्रदेश में सत्ता के करीब हुई तो हरीश रावत को ही मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार करेंगे इसके अतिरिक्त और कोई रास्ता नही है क्योंकि धड़ों में बंटी कांग्रेस को एक करने का फार्मूला सिर्फ और सिर्फ हरीश रावत के पास है यहां हरीश रावत ने दोनों के नाम मुख्यमंत्री के रूप में आगे करके एक बार फिर कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदारों के बीच कहीं ना कही राजनैतिक प्रतिस्पर्धा को जाने अंजाने हवा दे दी है ,लेकिन खेमों में बंटी कांग्रेस को जहाॅ प्रदेश में अपनी राजनैतिक जमीन तलाशनी है वहीं उसे प्रदेश की जनता का भी विश्वास पुनः हासिल करना होगा और इसके लिए उसके पास एक ही प्रदेश स्तर पर सर्वमान्य नेता हैं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश चन्द्र सिंह रावत, जिनके राजनैतिक कौशल से कांग्रेस आसन्न विधान सभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर सकती है।
हरीश रावत की कांग्रेस आलाकमान से नजदीकियां सर्वविदित हैं, काग्रेंस सेवादल में रहते हुए वे पूर्व प्रधानमंत्री स्वः राजीव गांधी के करीबियों में गिने जाते थे तथा हरीश रावत आज भी नेहरू गांधी परिवार के सबसे विश्वासपात्रों में शुमार किए जाते हैं और यह तय है कि अगर आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सत्ता के करीब पंहुच पाई तो हरीश रावत ही कांग्रेस की और से मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे ।