नई दिल्ली: उत्तराखंड में इन दिनों पुलिस विभाग के मुखिया यानी पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार के नाम पर स्थाई डीजीपी के लिए UPSC के द्वारा असहमति जताई गई हैं।उत्तराखंड के मौजूदा डीजीपी अभिनव कुमार का उत्तर प्रदेश कैडर होने के चलते पैनल की तरफ़ से असहमति व्यक्त की गई हैं।
केंद्र में संघ लोक सेवा आयोग ने स्क्रूटनी करने के बाद 03 पुलिस अधिकारियों नाम उत्तराखंड सरकार को भेजे हैं,और यह सभी अधिकारी उत्तराखंड कैडर के भी हैं।जिनमें से 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ,1995 बैच के ही आईपीएस अधिकारी डॉ पीवीके प्रसाद और 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी अमित कुमार सिन्हा का नाम भी शामिल हैं।
विदित हैं कि मौजूदा समय में आईपीएस अभिनव कुमार ही उत्तराखंड में पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी कार्यवाहक के रूप में देख रहे हैं।डीजीपी के रूप में अभिनव कुमार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही उत्तराखंड में स्थायी पुलिस मुखिया के लिए कार्यवाही शुरू कर दी गई थी।जिसके चलते उत्तराखंड गृह विभाग से 07 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल पुलिस महानिदेशक पद पर पदोन्नति के लिए केंद्र को भेजा गया था।जिसमें मानको के अनुसार पुलिस महानिदेशक पद के लिए 30 वर्ष की सेवा अनिवार्य थी,लेकिन इसमें बदलाव करते हुए इसे 25 वर्ष कर दिया गया था।यदि 30 वर्ष की सेवा वाला कोई अधिकारी राज्य में मौजूद होता तो ताजपोशी का निर्णय राज्य सरकार कर पाती।लेकिन इससे कम सेवा पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है।
आईपीएस अभिनव कुमार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी और काफ़ी तेज तर्रार अधिकारी हैं।यही कारण है कि अभी तक उन्हें डीजीपी की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था।लेकिन विशेष सूत्रो के हवाले से आई खबर पर यकीन किया जाये तो उत्तराखंड में डीजीपी पद के लिए बैठाए गए आज तक के सभी समीकरण गलत भी साबित हो सकते हैं। आईपीएस अभिनव कुमार के नाम पर केंद्र द्वारा असहमति जतायें जाने की खबर के बाद अब चर्चा यह भी होने लगी है कि डीजीपी की दौड़ में दीपम सेठ,डॉ पीवीके प्रसाद और अमित कुमार सिन्हा ही रह गए हैं,या अभी भी समीकरण बदल सकते हैं।