नए संसद भवन के श्रीगणेश के साथ ही केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया है। इस बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया गया है। मेघवाल ने सदन के सदस्यों को विस्तार से बिल के नियम शर्तों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि लोकसभा में अभी 543 सीटें हैं। जैसे ही महिला आरक्षण बिल पास होगा और कानून बनेगा, तो वर्तमान में महिलाओं की संसद में संख्या जो सबसे ज्यादा 82 है, वह 181 हो जाएगी। उन्होंने बताया कि ‘महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में 33% सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव करता है। इस बिल के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा। 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा।’

5 पॉइंट में समझिए पूरा बिल

1- लोकसभा में इस समय 82 महिला सदस्य हैं। इस बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें रिजर्व हो जाएंगी। इस बिल में संविधान के अनुच्छेद- 239AA के तहत राजधानी दिल्ली की विधानसभा में भी महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया है। अब दिल्ली विधानसभा की 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी। बता दें कि लोकसभा और दिल्ली विधानसभा ही नहीं, बल्कि बाकी राज्यों की विधानसभाओं में भी 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।

2- महिला आरक्षण बिल के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा। 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा। यह इस बिल का सबसे अहम पॉइंट हैं।

3-एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा। लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी। इस समय लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। बिल के कानून बनने के बाद 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। वहीं 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी महिलाओं के लिए होंगी।

4-बिल के कानून बनने के बाद लोकसभा में 181 सदस्य महिलाएं होंगी। इस समय सिर्फ 82 महिला सांसद ही हैं, लेकिन अगली बार से महिला सांसदों की संख्या कम से कम 181 होगी।

5-लोकसभा में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। एससी-एसटी की आरक्षित सीटों को हटा देने के बाद लोकसभा में 412 सीटें बचती हैं। इन सीटों पर ही सामान्य के साथ-साथ ओबीसी के उम्मीदवार भी लड़ते हैं। इस हिसाब से 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए होंगी।

 

कब-कब संसद में आया महिला आरक्षण बिल

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन को जवाब देते केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने बताया कि कब-कब संसद में महिला आरक्षण बिल पेश किया। मेघवाल ने बताया कि सबसे पहले यह आरक्षण बिल सितंबर 1996 में देवगौड़ा के समय आया था, वो भी 11वीं लोकसभा में। उसके बाद दिसंबर 1998 में अटल की सरकार के समय 12वीं लोकसभा में महिला आरक्षण बिल आया था। फिर तेरहवीं लोकसभा में दिसंबर 1999 में अटल की सरकार के समय बिल फिर आया। इसके बाद मई 2008 में मनमोहन सिंह सरकार में राज्यसभा में यह बिल लाया गया था। इसमें साजिश की बू आती है।