उत्तराखंड में इस साल मानसून के दौरान कुदरत ने जमकर अपना कहर बरपाया है। 15 जून से अब तक सौ से ज्यादा परिवारों को मूसलाधार बारिश से आई आपदाओं ने कभी न भर पाने वाले जख्म दिए हैं। इन परिवारों ने 93 परिजनों को खोया है, जबकि 16 का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। यही नहीं, 51 लोग घायल भी हुए हैं।
बीते 80 दिन पूरे राज्य पर भारी गुजरे हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो आपदा में न केवल जनहानि हुई। बल्कि 1 हाजर 914 घरों को भी अपने आगोश में ले लिया। इनमें से 56 घर पूरी तरह ध्वस्त हो गए, जबकि 181 की स्थिति अब रहने लायक भी नहीं रह गई है। बाकी जो घर हैं वो भी आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
मानसून के दौरान अतिवृष्टि, भूस्खलन और बाढ़ के कारण राज्य के सभी जिले कराह उठे। रुद्रप्रयाग जिले में सबसे ज्यादा जनहानि हुई है। यहां 21 लोग काल का ग्रास बन गए, जबकि 13 लोगों का तो अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है। आपदा में पशुधन को भी बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। अब तक 7 हजार 798 मवेशी काल-कवलित हुए हैं। इसके अलावा सड़कें, पेयजल और विद्युत लाइनों समेत सार्वजनिक संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है।
आपदा से मानव क्षति
जिला मृतक घायल लापता
रुद्रप्रयाग 21 05 13
टिहरी 10 03 00
पौड़ी 09 08 03
उत्तरकाशी 09 18 00
ऊ.नगर 08 05 00
चमोली 08 06 00
देहरादून 08 03 00
हरिद्वार 07 01 00
पिथौरागढ़ 06 00 00
नैनीताल 03 00 00
बागेश्वर 02 00 00
चंपावत 02 00 00
अल्मोड़ा 00 02 00
भवनों को पहुंची क्षति
जिला, आंशिक तीक्ष्ण, पूर्ण
हरिद्वार, 510 00 06
उत्तरकाशी 311 23 04
देहरादून 242 02 00
पिथौरागढ़ 130 68 05
अल्मोड़ा 115 39 01
पौड़ी 79 01 02
टिहरी 76 02 09
चमोली 76 10 02
ऊ.नगर 43 00 06
बागेश्वर 37 33 00
चंपावत 30 03 00
नैनीताल 27 00 02
रुद्रप्रयाग 00 00 00