चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने की दहलीज पर है। अब देश के साथ-साथ विश्व देश की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं। श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से ISRO के सूर्य मिशन आदित्य-L1 मिशन को आज 11.50 बजे लॉन्च कर दिया गया। आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा।
रॉकेट से अलग होकर अपनी यात्रा पर निकला आदित्य-L1
आदित्य-L1 अपनी यात्रा पर निकल चुका है। PSLV-XL रॉकेट से आदित्य-L1 अलग हो चुका है और अपनी यात्रा पर निकल गया है। यहां से इसकी 125 दिन की यात्रा शुरू हो चुकी है। यहां से यह धरती के चारों तरफ 16 दिनों तक पांच ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा।
चार महीने के सफर में क्या करेगा आदित्य एल-1
यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर अगले चार महीने सफर के दौरान आदित्य एल-1 क्या कुछ करेगा। इस दौरान उसे किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?
बता दें कि पोलर सेटलाइट पीएसएलवी सी57 की मदद से आदित्य एल-1 को पृथ्वी से रवाना किया गया है। आज इसरो ने सबसे पहले अलग-अलग स्तर के सेपरेशन के बाद धरती की सबसे निचली कक्षा में अपने सन मिशन को स्थापित किया है। इसके बाद अगले 16 दिन तक भारत का ‘आदित्य’ पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा। चंद्रयान-3 मिशन की तर्ज पर ही एक-एक कर ऑन बोर्ड प्रोपल्शन का प्रयोग कर इसे धीरे-धीरे पृथ्वी की अन्य कक्षाओं में भेजा जाएगा। पांच चरण के प्रोपल्शन के बाद इसे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर ले जाया जाएगा।
ऐसे आगे बढ़ेगा आदित्य एल-1
इसरो की तरफ से बताया गया कि पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने के बाद इसका क्रूज फेज शुरू होगा। आदित्य एल-1 का पूरा सफर कुल 125 दिन का है। 16 दिन पृथ्वी की कक्षा में रहने के बाद भारत का सूर्य मिशन लैग्रेंज प्वाइंट-1 की तरफ अपने कदम बढ़ाएगा। अगले 109 दिनों तक बेहद तेजी से भारत का आदित्य आगे बढ़ेगा। इसके बाद बड़े कर्व व यूटर्न की मदद से सूर्य मिशन को एल-1 प्वाइंट के हेलो ओर्बिट में स्थापित कर दिया जाएगा। यहां तक पहुंचने में इसे आज से करीब चार महीने का वक्त लेगा। जनवरी के मध्य में भारत का सन मिशन अपना सफर खत्म करेगा। हालांकि रिसर्च का काम इसरो फरवरी के अंत तक ही शुरु कर पाएगा।