उत्तराखंड में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए नई एमएसएमई नीति की अधिसूचना जारी हो गई है। नीति के अनुसार महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति व दिव्यांगों को नए उद्योगों में निवेश करने पर सरकार पांच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी देगी। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि आधारित प्रसंस्करण उद्योग लगाने के लिए मंडी शुल्क में पांच साल तक 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) की स्वीकृति के बाद शासन ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति (एमएसएमई) की अधिसूचना जारी की है। इसमें सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में नए उद्योगों में निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी में बढ़ोतरी की है।

चार करोड़ रुपये तक मिलेगी सब्सिडी 

पहाड़ों में निवेश करने पर 50 लाख से चार करोड़ रुपये तक सब्सिडी दी जाएगी, जबकि मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम सब्सिडी 1.50 करोड़ होगी। नीति में महिलाओं, एससीएसटी, दिव्यांगों के स्वामित्व वाले उद्योगों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी। इन्हें सूक्ष्म श्रेणी के उद्योग के लिए पांच लाख, लघु श्रेणी के लिए 10 लाख और मध्यम श्रेणी के उद्योग के लिए 15 लाख रुपये सब्सिडी दी जाएगी।

मंडी शुल्क में प्रति वर्ष 50 प्रतिशत छूट

नीति में चिह्नित ए और बी श्रेणी के क्षेत्रों में कृषि उत्पादों पर आधारित प्रसंस्करण उद्योगों को पांच साल तक मंडी शुल्क में प्रति वर्ष 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी। इसके अलावा उद्योगों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणपत्र, ट्रेड मार्क, क्वालिटी मार्किंग, पेटेंट कराने के लिए अधिकतम एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

वित्तीय प्रोत्साहन के लिए राज्य व जिला स्तर बनेगी कमेटी
उद्योगों को दी जाने वाली वित्तीय प्रोत्साहन के लिए राज्य व जिला स्तर पर प्राधिकृत कमेटी गठित की जाएगी। इसमें राज्य स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष उद्योग महानिदेशक होंगे। जिला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष संबंधित जिलाधिकारी होंगे। इसके अलावा शासन स्तर पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा जिसके अध्यक्ष सचिव उद्योग होंगे।

 

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