Balasore Train Accident : ओडिशा के बालासोर जिले में हुए रेल हादसे के बाद सियासत भी शुरू हो गई है। इस हादसे में तकरीबन 288 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए हैं। सत्ताधारी मोदी सरकार से विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने 7 सवाल पूछे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्विटर हैंडल पर कहा कि आजाद भारत के शायद सबसे दर्दनाक रेल हादसे पर मोदी सरकार से ये 7 सवाल। साथ ही, कहा कि विज्ञापनी पीआर ने मोदी सरकार के काम करने की प्रणाली को खोखला बना दिया है।

Balasore Train Accident : मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछे ये 7 सवाल

मोदी सरकार से सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि रेलवे में 3 लाख पद खाली हैं, बड़े अधिकारियों के पद भी रिक्त हैं, जिसकी भर्ती पीएमओ के द्वारा की जाती है। सरकार ने 9 सालों तक इनको क्यों नहीं भरा है।

रेलवे बोर्ड ने यह भी माना है कि लोगों की भारी कमी के कारण लोको पायलटों के लंबे समय तक काम करने के घंटे भी बढ़ते हुए हादसे की एक वजह है। फिर भी इन पदों को क्यों खाली रखा गया है।

दक्षिण पश्चिम रेलवे के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशंस मैनेजर ने 8 फरवरी, 2023 को मैसूर दो ट्रेनें आपस में टकराने से बच गई थी, उसका हवाला देते हुए सिग्नलिंग व्यवस्था को सही करने का आग्रह किया था और चेतावनी भी दी थी। उस पर भी रेल मंत्रालय के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया।

Balasore Train Accident : रेलवे की कड़ी आलोचना

संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323वीं रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग (CRS) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई उपेक्षा के लिए रेलवे की कड़ी आलोचना की थी। इसमें कहा गया था कि रेलवे सुरक्षा आयोग केवल 8 से 10 प्रतिशत मामलों की जांच करता है, लेकिन उसको मजबूती नहीं दी गई।

कैग की ताजा ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 और 2020-21 के बीच 10 में से लगभग 7 रेल हादसे Train Derailment की वजह से हुई। 2017-21 में East Coast रेलवे में सुरक्षा के लिए रेल और वेल्ड का जीरो परीक्षण हुआ । उसको दरकिनार क्यों कर दिया गया था। ओडिशा ट्रेन हादसे की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल।

Balasore Train Accident : 79 प्रतिशत फंडिंग

CAG के अनुसार, राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) में 79 प्रतिशत फंडिंग क्यों कम की गई, जबकि हर साल 20,000 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाने थे। ट्रेक के मरम्मत करने की राशि में भारी गिरावट क्यों हुई है।

भारत के अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (RDSO) द्वारा 2011 में विकसित ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली का नाम मोदी सरकार ने बदलकर कवच कर दिया और साल 2022 में रेल मंत्री ने इसका बखान भी किया था। फिर भी अभी तक यह प्रणाली पूरी तरह से स्थापित क्यों नहीं हो पाई है।

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