Gyanvapi Controversy : वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में एक नया मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। याचिका में मुस्लिम पक्ष ने इलाहबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। इस सर्वेक्षण में शिवलिंग का उम्र निर्धारण करने वाली कार्बन डेटिंग तकनीक भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से पेश वकील हुजेफा अहमदी की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए याचिका पर 19 मई को सुनवाई के लिए सहमति जताई। वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका फिलहाल लंबित है।
Gyanvapi Controversy : शिवलिंग के कार्बन डेटिंग का दिया गया है आदेश
हाई कोर्ट ने 12 मई को कार्बन डेटिंग नामक तकनीक का इस्तेमाल कर ज्ञानवापी परिसर में मिली उस संरचना की उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया था, जिसके शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी जिला न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके तहत मई 2022 में ज्ञानवापी परिसर में किए गए सर्वे के दौरान मिली संरचना की कार्बन डेटिंग सहित अन्य वैज्ञानिक परीक्षण कराने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के जिला जज को शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने के हिंदू पक्ष की याचिका पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने की सलाह दी थी।
Gyanvapi Controversy : जानिये क्या है ज्ञानवापी विवाद
बता दें कि साल 2022 में 5 महिलाओं ने वाराणसी जिला अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा-अर्चना करने की मांग की थी। इसके बाद 12 सितंबर 2022 को वाराणसी कोर्ट ने उन पांचों महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था।
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