26/11 का दिन देश में शायद की कोई भूल पाएगा. इस काले दिन को याद करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद से मानवता को खतरा है. आज जब देशवासी 26/11 के पीड़ितों को याद करते हैं तो दुनिया इसमें भारत के साथ है. जिन लोगों ने इस हमले की योजना बनाई और निगरानी की उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए.

याद दिला दें कि 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने 12 समन्वित गोलीबारी और बमबारी कर कई जगहों पर हमले किए थे. इन हमलों में कम से कम 166 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हो गए थे. पिछले महीने, भारत ने काउंटर- टेररिज्म कमेटी की भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी बैठक की मेजबानी की.

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बैठक के बाद एक घोषणा जारी की गई, जिसमें आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचने की चिंता को व्यक्त किया गया. साथ ही सभी राष्ट्रों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह सहयोग करने की बात कही गई. घोषणापत्र में स्वीकार किया गया कि सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है.

UNSC की विशेष बैठक के दौरान, जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मानवता कि लिए सबसे गंभीर खतरे से निपटने के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद आतंकवाद का वैश्विक खतरा बढ़ रहा है. विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरा बना हुआ है. पिछले दो दशकों में संयुक्त राष्ट्र परिषद ने इस खतरे से निपटने के लिए मुख्य रूप से आतंकवाद विरोधी प्रतिबंधों को लेकर कदम उठाया है. इसने उन देशों को प्रभावी रूप से नोटिस दिया है जिन्होंने आतंकवाद का वित्तपोषण किया.