प्रभुपाल सिंह रावत
विगत दिवस आपके द्वारा दूरदर्शन पर “मन की बात” कार्यक्रम देखा व गौर से टकटकी लगाये बैठा रहा। बहुत अच्छा लगा कि आपका विजन व मिशन का कारवां आगे बढता ही जा रहा है,लेकिन कभी हमारे ” मन की बात” आपने नहीं सुनी। जिसका हमें खेद भी है। अब ये सोच रहे हैं कि चलो देर आये पर दुरस्त हो जाये।
मैं संक्षिप्त में उत्तराखंड राज्य के अस्थायी राजधानी देहरादून के तहसील सदर की व्यथा सुनाने जा रहा हूँ। देहरादून के मौजा देहराखास में एक 32 साल पुरानी आवासीय कॉलोनी है जिसका अब आधुनिक नाम ‘वसुन्धरा एन्क्लेव,कारगी रोड़’ है। जिसमें सन 1989-90 में लगभग 22-23 सैनिक,पूर्व सैनिक,अर्द्धसैनिक,पूर्व पुलिस कर्मी,वरिष्ठ नागरिक आदि ने 200-300′ गज के भू खंडहर खरीदे थे।उस समय इन सबका एक ही खसरा नम्बर 657 था।जो कि बिल्कुल सही था कोई विवादित नहीं था। जो रजिस्टरी में है उसी के मुताबिक था।लेकिन सन 2005/06 के आसपास हमारे लिए एक ऐसा भूमि बन्दोबस्त लाया गया जो कि पूरा बेड़ा गर्क कर गया। हम न घर के रहे न घाट के।
कहने का मतलब ये है कि बन्दोबस्त कर्मचारियों ने किसी होटल,धर्मशाला आदि में चाय की चुस्की,बनारसी पान आदि खाकर जमीनी व धरातलीय जगह पर न जाकर हमारे खसरा नम्बर गलत व गडबड कर दिये,जिसका खामियाजा हम अब भुगत रहे हैं।उस समय बन्दोबस्त के प्रभारी तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश कुमार थे।उन्होंने अपने हस्ताक्षर कर अपनी पटकथा लिख दी,हमें बेसहारा व भूमि से बेदखल कर गये।जो पुराना खसरा नम्बर 657 था उसके नये खसरा नम्बर 1507 से लेकर 1525 तक बनाये गये।जमीन पर नहीं देखा कि किसकी भूमि कहाँ पर है।
उदाहरणार्थ जैसे प्रभुपाल सिंह रावत का भवन खसरा नम्बर 1524 में सन 1990 का बना है लेकिन तहसील के अभिलेख में व सजरा नक्शा में खतौनी खसरा नम्बर 1512 की निकलती है जो कि किसी अन्य भू स्वामी का है।जबकि खतौनी खसरा नम्बर 1524 की निकलनी चाहिए।इसी प्रकार दो चार भू खंड छोड़कर सबके खसरा नम्बर गलत कर दिये।अब भवन मानचित्र पास करना,बैक से लोन,अधिग्रहण होने पर मुआवजा,नामांतरण,आपसी विवाद आदि कारणों से बहुत परेशानी हो रही है।अब आप ही बताये,हम किसे कहे व क्या करना चाहिए।हमारे इस संसार से चले जाने के बाद हमारे छोटे छोटे बच्चे,पोते,पोती आदि किसके लिए बिलखते व रोते रहेगें।ये भी एक सोचनी की बात है।क्या हम उनको यही तोफा देके जायेगें।
हमने जितना करना था कर दिया है,अब गेंद मोदी के पाले में उछाल रहे हैं।
इस सम्बन्ध व प्रकरण में हमने देहरादून के तहसील सदर में वाद दायर किया था जिसके वाद संख्या 296/2017/18 से लेकर 311/2017/18 तक हैं।जो कि सहायक कलेक्टर देहरादून द्वारा बिना सूचना,बिना सुनवाई के खारिज कर दी गई हैं। आपके पी एम ओ कार्यालय नई दिल्ली,जो कि आपके ही नाम से स्पीड पोस्ट से कयी पत्र भेजे,जिनका रजिस्ट्रेशन नम्बर इस प्रकार हैं।
1- पी एम ओ पी जी/D/2017/0054218 दिनांक 03/02/2017
2- पी एम ओ पी जी/D/2017/0352553 दिनांक 27/07/2017
3-पी एम ओ पी जी/D/2019/0179927 दिनांक06/06/2019
4- पी एम ओ पी जी/D/2019/0309691 दिनांक 30/08/2019
5- CPGRAMS पर दर्ज CM Portal no.81940
6-CPGRAMS पर दर्ज 91914
7- उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग वाद संख्या 176/2017 दिनांक जनवरी,2017
8- सहायक कलेक्टर प्रथम देहरादून में वाद संख्या 296/2017-18 से वाद संख्या 311/2017-18 (16 वाद पत्र)
अब रही बात उत्तराखंड के लोकप्रिय मुख्य सेवकों की तो हरीश रावत,त्रिवेन्द्र सिंह रावत,तीरथ सिंह रावत और युवा,लोकप्रिय व सबके चहेते पुष्कर सिंह धामी को भी कम से कम दो-दो पत्र दिये हैं। त्रिवेन्द्र सिंह रावत के मुख्य मंत्री आवास के जनता मिलन सभागार में भी दो दिन गया लेकिन खाली हाथ लौटा दिया।जो कि जीरो टालरेन्स के जनक भी कहलाये जाते हैं।
सन 2018 में नगर निगम चुनाव तथा सन 2019 में आम चुनाव लोक सभा चुनाव का भी कॉलोनी वासियो द्वारा चुनाव वहिष्कार किया गया था जिसका टीवी चैनलों ने मौके पर खूब प्रचार प्रसार किया व वाह-वाही लूटी। लेकिन वो भी मौके पर तत्कालीन तहसीलदार मुकेश रमोला व विधायक विनोद चमोली आदि द्वारा आश्वासन देकर इति श्री कर ली।
अब बारी आती है उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग देहरादून,वहाँ भी वाद दायर किया था जिसका वाद संख्या 176/2017 है।वो भी पांच साल तक खूब चप्पल घिसे,अन्त में यह कहकर पल्ला झाड़ लिया व खारिज कर दिया कि यह हमारे कार्यक्षेत्र व अधिकारों से बाहर है। फिर सोचा कि उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग चलते हैं,वहाँ की शरण ली जाये,उन्होंने भी जिलाधिकारी देहरादून को दो पत्र भेजकर हमें बखा दिया। अब कोई जवाब देने को तैयार नहीं है।
अब हम तहसील सदर,देहरादून के रिकॉर्ड के अनुसार किसी दूसरे की भूमि पर मकान बनाकर रह रहे हैं,क्या पता कौन कब धक्का मारकर भगा दे। पत्राचार इतना किया कि पूर्व श्री राज्यपाल व वर्तमान श्री राज्यपाल महोदय तक नहीं छोड़ा। कई कैबिनेट मंत्रियों के जनता दरबार जो पहले भाजपा प्रदेश कार्यालय बलबीर रोड पर लगता था,उसमें भी सिरकत की। जिसमें कॉलोनी के नब्बे वर्षीय वृद्ध मोहनलाल सिंह नेगी,शिवा नन्द हिन्दवाण,नत्थी प्रसाद भट्ट,आलम सिंह रावत,रमा कान्त हिन्दवाण आदि प्रमुख थे।लेकिन स्थिति जस की तस। नरेन्द्र सिंह नेगी का एक गीत याद आता है कि” कु ढुन्गो नि पूज हमल”।
अब एक बार अन्तिम गुजारिश कर रहे हैं कि हमें सही खसरा नम्बर दिला दीजिए जिसके हम वास्तविक व असली हकदार हैं तथा जहाँ हमारे मकान बने हैं।ये मेरी व्यक्तिगत समस्या नहीं है,मेरे जैसे इस कॉलोनी में 22-23 परिवार हैं। लेकिन कोई तो सुने हमारी गुहार!