देहरादून:
हरिद्वार शहर विधायक मदन कौशिक को आखिरकार उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवानी पड़ गई। विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से कौशिक के खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई थी। बतौर प्रदेश अध्यक्ष कौशिक के कार्यकाल में भाजपा ने 2022 में प्रदेश में भले ही 47 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की, लेकिन कौशिक अपने गृह जनपद हरिद्वार में पांच सीटों को नहीं बचा सके। पार्टी प्रत्याशियों को हरवाने के लिए भीतरघात के आरोप तक लगे।
पार्टी प्रत्याशियों को हरवाने के लिए भीतरघात के आरोप तक लगे
आगामी पंचायत चुनाव से पहले उनकी कुर्सी चली गई। इसे पंचायत चुनाव में डैमेज कंट्रोल के रूप में भी देखा जा रहा है। इससे कहीं खुशी है तो कहीं कार्यकर्ता गम में डूबे हैं।मदन कौशिक हरिद्वार से लगातार पांचवीं बार विधायक हैं। 2022 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के चेहरे और संगठन में बतौर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के नेतृत्व में लड़ा। भाजपा ने 70 सीटों में 47 सीटें जीतकर सत्ता में दोबारा वापसी करने का रिकार्ड बनाया। हालांकि, पुष्कर सिंह धामी खटीमा से अपनी सीट नहीं बचा सके।
अध्यक्ष बदलने के बाद क्या अब होगा कैबिनेट विस्तार
धामी मंत्रिमंडल में मंत्रियों के तीन पद खाली हैं। प्रदेश में जब नई सरकार का गठन हुआ तब यही माना जा रहा था कि कौशिक को प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त कर उन्हें सरकार में जगह दी जाएगी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने अनुभवी कौशिक को संगठन में बनाए रखा और नए चेहरों को कैबिनेट में जगह दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से विदा हुए अनुभवी मदन कौशिक का क्या उपयोग करेगी? क्या उनकी प्रदेश मंत्रिमंडल वापसी होगी? कौशिक पूर्व भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं और उनके पास शासकीय प्रवक्ता और संसदीय और विधायी कार्य का भी जिम्मा रहा।
त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में वह सबसे ताकतवर मंत्रियों में रहे।
त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में वह सबसे ताकतवर मंत्रियों में रहे। अब उन्हें मंत्री बनाए जाने की संभावना को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस सवाल को कौशिक यह कहकर टाल गए कि यह विषय सरकार का है। सियासी जानकारों का मानना है कि कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष पद से विदा होने के बाद हरिद्वार जिले का प्रतिनिधित्व संगठन में भी नहीं रहा है। पार्टी के सामने हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की परीक्षा है।
सरकार पर हरिद्वार जिले को महत्व दिए जाने का दबाव भी है। चर्चा यह भी है कि कौशिक को यदि मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली तो उन्हें केंद्रीय संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती हैं। हालांकि यह संभावना पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर भी जताई जा रही थी, लेकिन अभी तक उन्हें संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई है।