धारचूला:
उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के धारचूला में एलधारा के पास हुए भारी भूस्खलन और ट्रक के बराबर गिरे बोल्डर से हुए नुकसान के बाद धारचूला नगर में अफरा तफरी का माहौल है। बोल्डरों से छह मकान ध्वस्त हो चुके हैं, पंद्रह मकान खतरे की जद में हैं। एलधारा के पास हाईवे से मलबा हटाना संभव नहीं हो पा रहा है। धारचूला मल्ली बाजार के 54 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। कुछ प्रभावितों ने नगर में ही अपने नाते रिश्तदारों के घर शरण ली है। देश के चीन सीमा पर स्थित अंतिम नगर धारचूला के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। जनता में शासन, प्रशासन, बीआरओ, हिलवेज कंपन, सिंचाई विभाग के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश बना है। जनता ने प्रदर्शन कर पुतला दहन किया।
धारचूला के शीर्ष में स्थित एलधारा के पास स्थित बेहद नाजुक बनी है। टनकपुर-तवाघाट हाईवे पर लगभग दस मीटर से अधिक गड्ढा बन चुका है। अस्सी मीटर ऊपर से भूमि दरक रही है। जमीन के अंदर से पानी का स्रोत फूट चुका है। जिसके चलते यहां पर मलबा हटाना संभव नहीं है। यहां पर कार्य करने वाली हिलवेज कंपनी मलबा हटाने में हाथ खड़े कर चुकी है। मशीन लगाते ही ऊपर से पत्थर गिरने के बाद आपरेटर कार्य नहीं कर पा रहा है। इस स्थान पर मलबे में विशाल बोल्डर हैं मलबा हटाते ही नगर में फिर से बोल्डर गिरने का खतरा है।