मतंग मलासी:

संस्कृत विभाग डॉक्टर शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग उत्तराखंड एवं मुंगेर विश्वविद्यालय बिहार के संयुक्त तत्वावधान में *पण्डितराज जगन्नाथ का काव्यशास्त्रीय अवदान रसगंगाधर के सन्दर्भ मे इस विषय पर सप्त दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज दिनांक 30 जुलाई को प्रारम्भ हुआ। 5 अगस्त तक चलने वाली इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय हरियाणा के कुलपति, प्रोफेसर रमेश चंद्र भारद्वाज ने कहा कि पण्डितराज का योगदान न केवल संस्कृत साहित्य में अपितु विश्व साहित्य में अतुलनीय है। वे काव्यशास्त्र के एक प्रौढ़ विद्वान थे। उन पर कार्यशाला का आयोजन निस्संदेह डॉ. मृगांक मलासी एवं उनके समस्त साथियों का उत्तम कार्य है।

मुख्य अतिथि के रूप में विज़िटिंग प्रोफेसर के रूप में विदेशों में भी अपनी सेवा दे चुके प्रो. एन.सी पंडा  वैदिक शोध संस्थान होशियारपुर पंजाब ने कहा कि पण्डितराज का योगदान समस्त वाङ्मय में उल्लेखनीय है उन पर और भी अधिक शोधकार्य किए जाने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्कृत साहित्य के मूर्धन्य विद्वान प्रोफेसर सुमन कुमार झा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली ने पण्डितराज जगन्नाथ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य सदैव समाज को अनुशासित करता आया है।

 

आज साहित्य का न पढा जाना समाज को गलत दिशा में ले जा रहा है। इसके अतिरिक्त काव्यशास्त्र के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर भी उन्होंने चर्चा की। कार्यशाला प्रशिक्षक डॉक्टर जोरावर सिंह हरियाणा ने कार्यशाला का विधिवत पाठन प्रारम्भ किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ सुदर्शन गोयल, सहायक आचार्य राजस्थान ने कहा कि संस्कृत की महत्ता को कमतर करके आंकना हमारी महान भूल है जो हमें गर्त की ओर धकेल रही है। हमें अपने शास्त्रों का संवर्धन करने की आवश्यकता है।समस्त कार्यक्रम में विशेष सान्निध्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर जगदीश प्रसाद  का प्राप्त हुआ उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में इस प्रकार की अकादमिक कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। अन्य विषय को पढ़ने वाले लोग भी इससे परिचित होगें

कार्यशाला के समन्वयक के रूप में संस्कृत विभाग की अध्यक्षा डॉ चंद्रावती टम्टा  रही जिन्होंने धन्यवाद ज्ञापन किया।कार्यशाला का संयोजक संस्कृत विभाग के आचार्य डॉक्टर मृगांक मलासी ने किया। एव संयोजक डॉ हरीश बहुगुणा करेंगे। तकनीकी समन्वयक के रूप में डॉ. मदन लाल शर्मा एवं श्री कीर्तिराम डंगवाल जी उपस्थित रहे। सात दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला मे 500 से अधिक विद्वान एवं छात्र छात्राएँ सम्पूर्ण देश से जुड़ेगें।

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