हरिद्वार
सीनियर आईपीएस केवल खुराना और एक रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच फिर से होगी। सीजेएम कोर्ट ने मामले में फाइनल रिपोर्ट को खारिज कर तीन महीने में जांच के आदेश दिए हैं। आईपीएस केवल खुराना और रिटायर्ड इंस्पेक्टर राजीव डंडरियाल पर पद का दुरुपयोग कर आरोपियों को लाभ पहुंचाने का आरोप है।
fire in onida factory
          मामला 2012 में मंगलौर में ओनिडा फैक्ट्री में अग्निकांडसे जुड़ा है। इस अग्निकांड में 12 कर्मचारियों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। इसमें कंपनी संचालकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में डीआईजी गढ़वाल रेंज के अतिरिक्त कार्यभार के दौरान देहरादून के तत्कालीन एसएसपी केवल खुराना ने मुकदमे की जांच ट्रांसफर कर मुनीकीरेती कोतवाली के निरीक्षक राजीव डंडरियाल को सौंप दी।
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      अग्निकांड में मारे गए कर्मचारी अभिषेक राणा के पिता रविंद्र कुमार ने वर्ष 2016 में आईपीएस केवल खुराना और निरीक्षक राजीव डंडिरयाल पर मुकदमा दर्ज कराया। आरोप था कि निरीक्षक राजीव डंडरियाल ने गैर इरादतन हत्या की धारा हटाकर दुर्घटना की धारा में तब्दील कर दिया था। एक आरोपी का नाम मुकदमे से हटा दिया गया और लोकसेवक के पद का दुरुपयोग कर आरोपियों को लाभ पहुंचाया गया।
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आठ फरवरी-2012 को हरिद्वार के थाना मंगलौर क्षेत्र में ओनिडा फैक्ट्री में भीषण अग्निकांड हुआ था। इसमें 12 लोगों की मौत हुई थी। सभी मरने वाले कर्मचारी और अधिकारी थे। नौ फरवरी-2012 को महक सिंह नाम के एक व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस अग्निकांड में महक सिंह के भाई की भी मौत हुई थी। मुकदमे में मुख्य आरोपी फैक्ट्री के महाप्रबंधक सुधीर महिंद्रा को बनाया गया था। अब गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को गुमनाम पत्र भेजने वाले ने अग्निकांड के विवेचना अधिकारी रहे तत्काल मंगलौर प्रभारी निरीक्षक महेंद्र सिंह नेगी और उच्चाधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

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लिखा है कि अग्निकांड में तीसरे दिन (10 फरवरी) जब आग बुझी तब जले हुए शवों (अवशेषों) को निकाला गया था। जबकि, एक दिन पहले ही लिखाई गई तहरीर में सभी मृतकों के नाम लिख दिए गए थे। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने भी लिखा था कि शव पूरी तरह से जल चुके थे। यहां तक की उनकी ज्यादातर हड्डियां तक राख हो चुकी थी, लिहाजा कुछ मांस के टुकड़ों और हड्डियों से ही रिपोर्ट तैयार हुई थी। लेकिन, पुलिस ने अपने दस्तावेजों में लिखा है कि मृतकों की पहचान शवों की जेब से मिले पहचान पत्र और टी-शर्ट आदि से हुई है। ऐसे में यह कैसे संभव है कि पूरा शरीर पूरा जल जाए और टी-शर्ट व पहचानपत्र आदि दस्तावेज सुरक्षित रहें?

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पुलिस की इस कहानी से पत्र भेजने वाले के इन आरोपों को भी बल मिलता है कि जब पुलिस तीसरे दिन शव मिलने के बाद होना दर्शाती है तो एफआईआर में उनके नाम अग्निकांड के अगले दिन एफआईआर में कैसे दर्ज कर लिए गए। इसी तरह के दर्जनों सवाल पत्र भेजने वाले ने उठाए हैं। इनकी तस्दीक के लिए उसने पुलिस की जीडी और सीडी की प्रतियां भी मुख्यालय और गृह विभाग को उपलब्ध कराई है। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने डीआईजी गढ़वाल को जांच करने के निर्देश दे दिए हैं।

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इस संबंध में एक पत्र आया था। इसकी जांच को डीआईजी गढ़वाल को लिखा गया है। साथ ही पूर्व में बनाई गई एसआईटी को भी तथ्यों की जांच करने के लिए कहा गया है। यदि कोई भी गलती विवेचना में पाई जाती है तो इस पर कार्रवाई होगी।
अशोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक

 

 

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