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विद्युत मंत्रालय देश में कोयला आपूर्ति की स्थिति की निगरानी कर रहा है और उसने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कैप्टिव कोयला खदानों से प्राप्त घरेलू कोयले के आधार पर पर्याप्त कोयला आपूर्ति और कोयला भंडार सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं
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राज्य जेनकोस, आईपीपी और सेंट्रल जेनकोस के परामर्श से बिजली मंत्रालय में लिए गए निर्णय के अनुसार, घरेलू कोयला आपूर्ति सभी जेनकोस के लिए सीआईएल/ एससीसीएल से प्राप्त कोयले की समानुपाती बनायी जाएगी और किसी भी कमी को पूरा करने के लिए समानुपातिक आधार के अतिरिक्त अन्य कोयला देना संभव नहीं होगा।।
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वीद्युत मंत्रालय ने घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कार्रवाइयों को प्राथमिकता के आधार पर करने का निर्देश देते हुए एक परिपत्र जारी किया है:-
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बिजली संयंत्रों को आवंटित कैप्टिव कोयला खानों में उत्पादन कोयला मंत्रालय द्वारा अनुमत सीमा तक अधिकतम किया जा सकता है।
ऐसी रिपोर्ट की गई है कि कई बिजली संयंत्र रेलवे रैक से कोयले को उतारने में मानक से अधिक समय ले रहे हैं जो टर्न-अराउंड समय को प्रभावित कर रहा है। सीईए को बिजली संयंत्रों में उतराई के समय की निगरानी करने के लिए कहा गया है और यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे बिजली संयंत्रों को कम संख्या में रेक उपलब्ध कराए जाएं
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जहां रेक से कोयले की शीघ्र उतराई में ढिलाई बरती जा रही है। यह कदम उपलब्ध रेल रेकों का अधिकतम उपयोग करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसलिए इस पहलू की निगरानी राज्य सरकार के स्तर पर की जाए और कोयले की उतराई निर्धारित मानकों के भीतर सुनिश्चित की जाए।
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कई उत्पादन कंपनियों पर कोयला कंपनियों का कई सौ करोड़ रुपये बकाया हैं। इतनी बड़ी बकाया राशि कोयला कंपनियों की कोयला आपूर्ति जारी रखने की क्षमता को प्रभावित करती है। अतः यह आवश्यक है कि कोयला कंपनियों के बिलों का भुगतान नियत समय पर किया जाए जिसके कि ऐसी उत्पादक कंपनियों को कोयले की आपूर्ति इस कारण प्रभावित न हो