शंखनाद INDIA /दिक्षा नेगी

2-3 साल से जेल में लगभग सड़ रहे डॉ मृतुन्जय मिश्रा को जमानत पर छूटने के बाद फिर से उसी उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में कुलसचिव के पद पर बैठा दिया है जहा से वे गंभीर आरोपों में जेल गए थे। मृतुन्जय मिश्रा केवल राजनीति विज्ञान का लेक्चरर था जिसे भाजपा की सरकार में एक बहुत ही नामी मंत्री जो बाद में और भी बड़े पदों पर रहे। तब बिना योग्यता के उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का कुलसचिव बना दिया था।

भाजपा सरकार के कारण उच्च शिक्षा विभाग से आयुर्वेद विश्वविद्यालय में पद नाम के साथ मृतुन्जय मिश्रा कुलसचिव पद पर मर्ज हो गया। ये कृपा बिना राजनीतिक और नौकरशाहों के संयुक्त आर्शीवाद से संभव नहीं प्राप्त हो सकती।
वहा इसका दुःसाहस बढता गया और इसने प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह जो पहले इसे पाल- पोस रहा था को फंसाने के लिए स्टिंग करने की कोशिश की। ताकतवर नौकरशाह से पंगा लेने पर इसके बुरे दिन आ गए पुलिस ने ऐसे जेल भेजा कि जमानत ही नही हो पाई। उत्तराखंड में नेताओं से पंगा लेता तो शायद निलंबित भी नहीं हो पाता । इससे समझ लीजिए कम कानून और नियमों की जानकारी और हल्के लाभों के चक्कर में उत्तराखंड में हम नेताओं की हैसियत बहुत ही कमतर है।

जमानत होते ही सरकार ने फिर ऐसे पद पर बैठा दिया जैसे इस जैसे गुणी-ज्ञानी आदमी के बिना विभाग सूना पड़ा था। ये निर्णय अगर केवल आयुष और आयुष शिक्षा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत द्वारा लिया गया है तो मुझे जरा भी आश्चर्य नही होता क्योंकि उनके निर्णयों के पीछे क्या होता है ये सभी जानते हैं। मुख्यमंत्री से इतने बड़े पद के लिए यदि अनुमति नही ली गयी तो ये मान लीजिए उत्तराखंड में सब कुछ ठीक नही चल रहा है।

परंतु यदि इस निर्णय का अनुमोदन मुख्यमंत्री धामी ने किया है तो मुख्यमंत्री जी जो आपको लंबी रेस का घोड़ा बता रहे थे, धोखे में थे । परंतु उत्तराखंड को नोच कर खाने वाले लुटेरे और उत्तराखंडियों के घोषित दुश्मन मृतुन्जय मिश्रा को फिर से कुलसचिव पद पर बैठाने के निर्णय ने सिद्ध कर दिया है कि आप इतने महत्वपूर्ण मामले में बड़ी चूक कर गए , जो इतिहास के पन्नों में दर्ज रहेगा। मिश्रा पर मुकदमा चलाने की अनुमति तक उत्तराखंड सरकार ने नही दी है।

बता दें कि दर्जनों भ्रष्ट अधिकारी विजिलेंस द्वारा जेल तो भेजे जाते हैं परंतु जब सरकार को इन्हें बचाना होता है तो सरकार मुकदमा चलाने की अनुमति ही नहीं देती और ये छूट जाते हैं। हम इन मामलों में चुप नहीं रह सकते इनका अंतिम समय तक विरोध करेंगे। मुख्यमंत्री जी अब आप निर्णय नही ले सकते तो मुख्य सचिव को ही पत्र लिखते हैं। हम सब बड़े -बड़े नारों के साथ चुनाव लड़ रहे हैं और सबसे मक्कार, भ्रष्ट लुटेरा अधिकारी मजा करने के लिए बैठ गया है। उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि यंहा मृतुन्जय मिश्रा जैसे चोरों को भी हमारे नेताओं द्वारा पाला-पोसा जाता है।