शंखनाद INDIA/ चमोली : उत्तराखंड में मौसम ने अपनी करवट बदलनी शुरू कर दी है। जिसकी वजह से अब ठंड लगने लगी है। यदि बात करें, पहाड़ी इलाकों की तो वहां भी बर्फ पड़ने के दौरान ठिठुरन बढ़नी शुरू हो गई है। यह खबर हम आप सभी को क्यों बता रहे हैं ? आप सभी को लग रहा होगा यह तो एक आम खबर है तो इस खबर को हमें क्यों बताया जा रहा है। हम आपको बता दें, क्योंकि वैज्ञानिकों ने इस बार की ठंड को “हाड़ कपाती” ठंड कहां है। क्योंकि यह ठंड पहले सालों के मुकाबले बहुत ही ज्यादा ठिठुरन भरी होने वाली है। इसलिए वैज्ञानिकों ने भी इस मौसम में अधिक कपकपी का एहसास होना बताया है। यदि इस बार की दिवाली की रात की बात कही जाए तो यह रात पहले के मुकाबले बहुत ही ज्यादा ठंड से भरी हुई थी। जिसमें तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक भी गिरा हुआ था। दिवाली के दिन अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। चलिए खबर को पूरा विस्तार के साथ जानते हैं।
नवंबर के पहले ही हफ्ते में न्यूनतम तापमान सामान्य से दो से तीन डिग्री नीचे चला गया है। ला-नीना के प्रभाव के कारण तापमान में तेजी से गिरावट शुरू हो गई है। तराई में आने वाले दिनों में तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। पहाड़ों पर भी न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है। खासतौर पर कई पहाड़ी इलाकों में तापमान माइनस में जा सकता है। देश के कई हिस्सों में तो न्यूनतम तापमान तीन डिग्री तक पहुंच गया है। ला-नीना के असर के कारण मौसम विभाग ने उत्तर भारत के साथ ही उत्तर पूर्व एशिया में ठंड की चेतावनी जारी की है। इस साल प्रशांत क्षेत्र में ला-नीना तेजी से उभर रहा है। इसमें समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होना शुरू हो जाता है। बता दें कि समु्द्र का पानी ठंडा होने की प्रक्रिया को ला-नीना और गर्म होने की प्रक्रिया को अल-नीनो कहते हैं। इसका सीधा असर हवाओं पर पड़ता है।