शंखनाद INDIA/ जयपुर: गांधीवादी नेता और चंबल को डकैतों से मुक्त कराने वाले डॉ. एसएन सुब्बाराव का निधन हो गया। राव ने गुरुवार तड़के जयपुर के अस्पताल में अंतिम सांस ली। कल  शाम उनकी पार्थिव देह मुरैना पहुंचेगी, जिसे अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा। शाम को ही जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

डॉ. सुब्बाराव का पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित रहा है। डॉ. सुब्बाराव ने 14 अप्रैल 1972 को जौरा के गांधी सेवा आश्रम में 654 डकैतों का आत्म समर्पण कराया था। उस समय समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण एवं उनकी पत्नी प्रभादेवी भी मौजूद रहे थे। 450 डकैतों ने जौरा के आश्रम में जबकि 100 डकैतों ने राजस्थान के धौलपुर में गांधीजी की तस्वीर के सामने हथियार डाले थे।

 

ग्वालियर चंबल संभाल में डॉ सुब्बाराव साथियों के बीच भाईजी के नाम से प्रसिद्ध थे। डॉ. सुब्बाराव ने ही जौरा में गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी, जो अब श्योपुर तक गरीब व जरूरतमंदों से लेकर कुपोषित बच्चों के लिए काम कर रहा है। डॉ. सुब्बाराव ने श्योपुर के त्रिवेणी संगम घाट पर गांधीजी की तेरहवी का आयोजन शुरू करवाया था। आदिवासियों को विकास का मुख्य धारा में लाने के लिए वह अपनी टीम के साथ लगातार काम करते रहे।

पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुब्बाराव को 1995 में राष्ट्रीय युवा परियोजना को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार, 2003 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, 2006 में 03 ,जमानालाल बजाज पुरस्कार, 2014 में कर्नाटक सरकार की ओर से महात्मा गांधी प्रेरणा सेवा पुरस्कार और नागपुर में 2014 में ही राष्ट्रीय सद्भावना एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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