शंखनाद INDIA/ रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड । उत्तराखंड में विधायक निधि को लेकर लगातार आवाजें उठ रही है। विधायक निधि अपने चेले-चपाटो को दी जाती है। जिससे सैटिंग-गैटिंग के तौर पर विधायक निधि में कमीशन को ठिकाने लगाया जा सकें। इसमें विधायक और ठेकेदारों का गठजोड़ उत्तराखंड राज्य के लिए दीमक रुपी भ्रष्टाचार में खत्म कर रहा है। मामला इस बार उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले केदारनाथ विधानसभा विधायक मनोज रावत ने इसकी पोल खोल दी है।

जिसमें उन्होंने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि जिन लोगों को चिक्तिसा उपकरणों का ज्ञान नहीं है वह लोग वैंटीलेंटर लगा रहे है। उन्होंने बताया है कि आठ लाख रुपय का वैंटीलेंटर एक दिन भी नहीं चला है। मनोज रावत ने बताया है कि उन्होंने अपनी विधायक निधि से डेढ़ करोड़ की लागत से चिक्तिसा उपकरण का प्रस्ताव दिया गया था। इसके लिए दून मेडिकल कॉलेज को ऐजेंसी बनाया गया था।

राज्य में विधानसभा चुनाव नज़दीक है लेकिन विधायक निधि खर्च की रफ्तार धीमी है। चुनावी साल में विधायक अपनी निधि ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की निधि तलाश रहे है। विधायकों को वर्ष 2017 से 2021 तक कुल 1256.50 करोड़ रुपय की विधायक निधि उपलब्ध हुई जबकि इसमें अभी तक 77 प्रतिशत यानि 963.40 करोड़ रुपय की विधायक निधि ही खर्च हो पाई है। 23 प्रतिशत यानि 293.10 करोड़ की विधायक निधि खर्च होने को शेष है। विधायक निधि खर्च करने के मामले में नैनीताल के युवा विधायक संजीव आर्य सबसे आगे है,जबकि केदारनाथ के युवा विधायक मनोज रावत सबसे पीछे है।

काशीपुर निवसी सूचना का अधिकार कार्यकर्ती नदीम उद्दीन की ओर से मांगी गई सूचना के आधार पर ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय की ओर से यह सूचना उपलब्ध कराई गई है। इसके तहत विभाग की ओर से विधायक निधि वर्ष 2017-18 से 2021-22 का विवरण सितंबर 2021 उपलब्ध कराया है। जिसमें सितंबर 2021 के अंत तक की विधायक निधि खर्च का विवरण दिया गया है। उपलब्ध सूचना के अनुसार,उत्तराखंड के 71 विधायक को  17.75 करोड़ रुपय प्रति विधायक की दर से 1256.50 करोड़ रुपय की विधायक निधि सितंबर 2021 तक उपलब्ध करई गई है। इसमें से अक्तूबर 2021 के प्रारंभ में 293.10 करोड़ रुपय की विधायक निधि खर्च होनी शोष है।