शंखनाद INDIA/नैनीताल,मुक्तेश्वर,संवाददाता(मानवी कुकशाल): आइए आज आपको ले चलते है अपनी इस कहानी के तरफ जिसमें आपको पता चलेगा कि कैसे दिल्ली शहर में रहने वाली पहाड़ की इन दो बेटियों ने अपने सपने से कैसे हो रहे गांव के पलायन को कुछ हद तक रोका है।हमारी आज की कहानी में दिल्ली में रहने वाली कनिका शर्मा और कुशिका शर्मा अच्छी सैलेरी में तो जरुर काम कर रही थी लेकिन उनका मन-मस्तिष्क अपने गांव मुक्तेश्वर में ही लगा हुआ था। इन दोनों बहनों का एक सपना था जिसमें वो अपने गांव जाकर अपने गांव और गांव के लोगों के विकास में अपना योगदान देना चाहती थी।

दोनों बहनों का सपना शुरु से ही जैविक खेती करते हुए आगे बढ़ने का था जिसके लिए वो अपने गांव वापस आ गए। गांव वापस लौटने के बाद उन्होंने एक नई शुरुआत की जिसमें उन्होंने अपने गांव वालों को भी इस जैविक खेती के बारे में बताया। दोनों बहनों ने बताया कि ये सफर उनके लिए बिल्कुल नया था जिसमें उन्हें कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा।

उन्होंने बताया कि गांव में रहने वाले लोगों की आमदनी ज्यादातर कृषि पर ही आधारित होती है लेकिन गांव के किसान कृषि के जरिए एक बेहतर कमाई करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं थे। कनिका और कुशिका ने जीरो बज़ट के साथ ही जैविक खेती करने की शुरुआत की जिसमें उन्होंने सबसे पहले इसका खुद प्रशिक्षण लिया और 2014 में दोनों बहनों ने मुक्तेश्वर में ही करीब 25 एकड़ कृषि योग्य जमीन लीऔर जैविक खेती की शुरुआत कर दी।

धीरे-धीरे जैविक खेती में सफलता पाने के बाद कनिका और कुशिका ने ‘दयो-द ऑर्गेनिक विलेज रिसॉर्ट’ का निर्माण कर उसकी स्थापना भी की।उनका ऐसा मानना है कि कई बार कई लोग शहरों से तंग आकर कुछ समय पहाड़ों की तरफ आकर अपना समय बिताना चाहते हैं तो उन लोगों के लिए ये रिसॉर्ट एक बेहतर जगह हो सकती है।

उन्होंने रिसॉर्ट का नाम भी कुछ अलग-सा रखा है। ‘दयो’ जो कि संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ स्वर्ग होता है। आपको बता दें कि इस खास रिसॉर्ट में आने वाले सैलानी अपनी इच्छानुसार जैविक खेती में भी हाथ आजमाते है।वे सभी अपनी पसंद की सब्जियों को अपने-आप तोड़कर रिसॉर्ट में जाकर शेफ से अपनी पसंद डिश बनवा सकते है।

आपको बता दें कि इस समय रिसॉर्ट की देख-रेख के लिए करीब 20 लोग कार्यरत है। दोनों बहनों की मेहनत और लगन के कारण ही इस रिसॉर्ट में सैलानियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। बताया जा रहा है कि अब रिसॉर्ट और किसानों के द्वारा उगाई गई जैविक सब्जियां अब मंडी में भी बेचनी शुरु कर दी गई है जिसकी वज़ह से किसानों को भी अच्छा कमाने का अवसर मिला है।

कनिका और कुशिका के अनुसार पने इस कदम के जरिए अब वे अपने गाँव से पलायन को रोकने में भी सफलता हासिल कर पा रही है। इतना ही नहीं, दोनों ही बहनें गाँव के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए जागरुकता फैलाने का भी काम कर रही है। आज उनके गांव के लोग हॉस्पिटैलिटी में भी प्रशिक्षण ले रहे है। आशा है की आपको उनकी कहानी से कुछ सीखने की प्रेरणा मिलेगी।