शंखनाद INDIA / देहरादून : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव का आगाज़ शुरू हो चूका हैं। वही इस पर कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ने की प्रमुख तीन वजह बताई जा रही हैं। पिछले कई महीनों से लगातार परिस्थितियां ऐसी बन रही थीं कि जिससे भविष्य की राजनीति के हिसाब से आर्य भाजपा में खुद को असहज पा रहे थे। किसान आंदोलन के कारण चुनावी डगर भी मुश्किल दिख रही थी। यही कारण हैं कि 2022 के विधानसभा चुनावों से तीन-चार महीने पहले ही उन्होंने बेटे संग भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामने का निर्णय ले लिया। ऐसे में लग रहा ही इस बार के चुनाव और भी ज्यादा दिलचस्प होने वाले हैं …

पेश है आर्य के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के प्रमुख कारणों पर रिपोर्ट। बाजपुर सीट पर जीत को लेकर असमंजस : सूत्रों के अनुसार यशपाल आर्य भाजपा के टिकट से बाजपुर सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त नहीं थे। बाजपुर सीट का गणित 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के समीकरणों पर सटीक नहीं बैठ रहा था। पार्टी की ओर से हाल में कराए गए अंदरूनी सर्वें में भी यह बात खुलकर सामने आ गई थी। ऐसे में बताया जा रहा है कि यशपाल आर्य ने समय रहते भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय ले लिया।

किसान आंदोलन का भारी दबाव

यशपाल आर्य का विधानसभा क्षेत्र बाजपुर राज्य के उन क्षेत्रों में शामिल है जहां पर किसान आंदोलन का सर्वाधिक असर है। किसानों की संख्या अधिक होने की वजह से आर्य को 2022 के विधानसभा चुनावों में किसानों की नाराजगी का भी डर सता रहा था। भाजपा में रहते हुए किसानों का विरोध आर्य के लिए चुनावों में मुसीबत का कारण बन सकता था। दूसरी ओर बाजपुर सीट पर अब भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। जिससे आने वाले चुनावों में आर्य की राह आसान मानी जा रही है।