शंखनाद INDIA/ संवाददाता “आरती पांडेय” : उत्तराखंड में भू कानून को लागू करने के लिए शोसल मिडिया से लेकर सड़कों तक लोग उत्तराखंड के हित में मजबूत भू-कानून की मांग कर रहे हैं। आप लोग भी शंखनाद इंडिया के साथ उत्तराखंड में मजबूत भू कानून के लिए अपनी राय रखें। भू-कानून लागू करने के लिए एकजुट हों। मजबूत भू कानून उत्तराखंड राज्य में बने। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लोगों की जमीन बची रहे। हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भू कानून लागू करें धामी सरकार। आने वाले विधादरअसल, उत्तराखंड में लगातार भू- कानून को लेकर बात होती रही हैं। जिसके चलते न जाने कितने युवाओ ने आगे बढ़कर भू- कानून के पोस्टर को लेकर धरना प्रदर्शन किया हैं। उन सभी युवाओ के मुख से केवल एक ही वाक्य निकलता हैं “भू-कानून हमारा हक़ हैं” … जिस वजह से यह हक़ की बात सोशल मीडिया में आग की तरह वायरल होकर सुर्खिया बटोर रही हैं .. जसकी चर्चा आज हर गली-हर चौराहा पर सुनते हैं। …. इस मुद्दे पर खामोश रहने वाले सियासी दल एकाएक मुखर हो चले हैं। जगह-जगह आंदोलन की सुगबुगाहट है। आंदोलनकारियों का तर्क है अगर यह कानून बना रहा तो बाहरी लोगों का प्रदेश की जमीनों पर कब्जा हो जाएगा। साथ ही उत्तराखंड आर्थिक रूप से कमजोर हो जायेगा। इसके अलावा स्थानीय लोग बेबस और लाचार होकर अपनी जमीनों को बाहरी लोगों के हाथ में जाते हुए देखते रहेंगे।

क्यों उठ रही हैं भू- कानून की मांग ….

भू-कानून का विरोध करने वालों का तर्क है कि प्रदेश में ‘उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 (अनुकलन एवं उपरांतरण आदेश 2001) (संशोधन) अध्यादेश-2018’ के जरिये जमीन की खरीद फरोख्त के नियमों को इतना लचीला कर दिया गया कि अब कोई भी पूंजीपति प्रदेश में कितनी भी जमीन खरीद सकता है। इसमें में जोड़ी गई दो धाराओं को लेकर विरोध हो रहा है।

स्वत: बदल जाता है भू उपयोग …….

इस कानून की धारा 143 (क) में यह प्रावधान है पहाड़ में उद्योग लगाने के लिए भूमिधर स्वयं भूमि बेचे या उससे कोई भूमि खरीदे तो भूमि को अकृषि कराने के लिए अलग से कोई प्रक्रिया नहीं अपनानी होगी। औद्योगिक प्रायोजन से भूमि खरीदने पर भूमि का स्वत: भू उपयोग बदल जाएगा।

युवाओ ने भरी जोश की हुंकार …

चुनावी साल में उत्तराखंड के युवाओं ने औने-पौने दाम पर बिक रही कृषि भूमि बचाने के लिए मजबूत भू कानून की मांग को लेकर अभियान छेड़ दिया है। तमाम सोशल मीडिया मंच पर बीते दो दिन से भू कानून की मांग ट्रेंड कर रही है। इसकी आंच अब राज्य में सक्रिय सियासी दलों तक भी पहुंचने लगी है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में भू-कानून का मुद्दा अचानक गरमा गया है। इस बार इस कानून के पक्ष में आम युवा एक जुट एक मुट्ट हैं। बीते कुछ दिनों से ट्वीटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भू कानून के समर्थन में युवा जोरदार अभियान छेड़े हुए हैं। इसमें लोक गीतों से लेकर, एनिमेशन और पोस्टर तक का सहारा लिया जा रहा है।

इसके अलावा रेडियो के लिए काम करने वाले नैनीताल के पंकज जीना ने भू कानून के समर्थन में इंस्टाग्राम पर वीडियो डाली थी। वही इंस्टाग्राम पर गढ़ कुमाऊं संगठन ने भू-कानून के समर्थन में लगातार पोस्ट भी जारी किए थे। मूल रूप से गौचर निवासी युवा सौरभ गुंसाई के मुताबिक, इस बार ज्यादातर आम युवाओं ने यह अभियान छेड़ा है। अभियान के पीछे सियासी सोच नहीं है, पर सियासी दलों को इस मुद्दे पर स्टैंड साफ करना होगा। पलायन एक चिंतन अभियान के संयोजक रतन सिंह असवाल के मुताबिक, वर्तमान कानून की खामी उठाकर एक ही परिवार के कई लोगों ने अलग-अलग जमीनें खरीद डाली हैं। इस कारण दूरदराज के पहाड़ में भी कृषि भूमि पर राज्य से बाहर के लोगों का कब्जा होने लगा है।

निष्कर्ष

यदि हम बात करे बीते 1 महीने से सोशल मीडिया पर #उत्तराखंडमांगेभू_कानून काफी ट्रेंड कर रहा था. दरअसल, हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड के युवा भी राज्य में भू कानून चाहते हैं. अब सोशल मीडिया की यह मुहिम जमीनी स्तर पर भी दिखने लगी है. बीते कुछ समय से ही राजधानी देहरादून के कई चौराहों पर युवा इकट्ठा हुए और हाथ में पोस्टर और बैनर लिए सरकार से कठोर भू कानून की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह होगा आखिर कब यह कानून उत्तराखंड में लागू होता हैं .नसभा सत्र में मजबूत भू कानून पास कर राज्य के लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान करें।