शंखनाद_INDIA/देहरादून: त्योहारों के समय में अक्सर खाद्य पदार्थों में मिलावट की खबरें और बातें सामने आती हैं। दीवाली नज़दीक है तो मावे की बात हो या मिठाइयों की, आप उनके नकली होने की खबरें सुन रहे हैं। घी में मिलावट आम तौर पर सुनी जाती है, लेकिन अब सरसों तेल में मिलावट का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है।

उत्तराखंड में शहरों के हिसाब से तेल में कम या ज़्यादा मिलावट की जा रही है। यह मिलावट इतनी घातक है कि आपको पेट, लिवर या किडनी के रोगों का शिकार बना सकती है। दरअसल, स्वयंसेवी संस्था स्पेक्स ने उत्तराखंड के अलग-अलग स्थानों से सरसों के 469 नमून एकत्र किए, जिनमें से 415 सैंपल में मिलावट दर्ज की गई है। जिसमें देहरादून, विकासनगर, डोईवाला, मसूरी, टिहरी, उत्तरकाशी, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर, हरिद्वार, जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, रामनगर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ शामिल है।

मसूरी रुद्रप्रयाग जोशीमठ गोपेश्वर और अल्मोड़ा में सरसों के तेल के नमूनों में शत-प्रतिशत मिलावट पाई गई। जसपुर में न्यूनतम मिलावट 40% काशीपुर में 50% पाई गई। उत्तरकाशी में 95%,  देहरादून में 94, पिथौरागढ़ में 91, टिहरी 90, हल्द्वानी 90, विकासनगर 80, डोईवाला 80 नैनीताल 71, श्रीनगर 80, ऋषिकेश 75, रामनगर 67, हरिद्वार 65, रुद्रपुर में 60% मिलावट पाई गई।