उत्तराखंड के उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा 2 पर्वत चोटी के पास हिमस्खलन से 9 की मौत हो गई है। म अभी तक 8 पर्वतारोहियों को सुरक्षित रेस्क्यू कर दिया गया है. अभी तक 25 लोग लापता बताए जा रहे हैं. बचाव और राहत कार्यों के लिए IAF ने 2 चीता हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं, अन्य सभी हेलिकॉप्टरों के बेड़े को किसी भी अन्य आवश्यकता के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है। भारी वर्फवारी के कारण रेस्क्यू अभियान रोक दिया गया है। नेहरू पर्वतारोही संस्थान के प्रधानाचार्य अमित बिष्ट ने बताया कि नीम के 40 प्रशिक्षुओं का दल द्रोपदी का डंडा-2 पर गए थे. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि फंसे लोगों को निकालने के लिए निम रेस्क्यू अभियान चला रहा है. घटनास्थल पर निम के पास दो सेटालाईट फोन मौजूद हैं. रेस्क्यू अभियान के लिए निम के अधिकारियों के साथ लगातार समन्वय किया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एवलॉन्च में दो प्रशिक्षकों की मौत पर गहरा दुख जताया है. उन्होंने ट्टीट कर शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदनाएं जताई है. इसके अलावा उन्होंने सीएम धामी से भी बात की और घटना की जानकारी ली. उन्होंने वायु सेना को बचाव और राहत अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

चोटी फतह करने के बाद लौटते वक्त फंसे पर्वतारोही
नेहरु पर्वतारोण संस्थान के पर्वतारोहियों का मंगलवार की सुबह उस वक्त मौत से सामना हुआ जब वे बेहद कठिन मानी जाने वाली द्रौपदी का डांडा टू चोटी को फतह कर लौट रहे थे।
ग्लेशियर को पार करने के लिए सभी पर्वतारोही आपस में रोप के सहारे जुड़कर वापसी कर रहे थे। पर्वतारोहियों का यह मुश्किल अभियान बस कुछ ही देर में पूरा होकर जश्न में तब्दील होने वाला था कि अचानक आए एवलांच ने उनकी सारी खुशी छीन ली। पर्वतारोहियों का यह दल मंगलवार को ही द्रौपदी का डांडा टू चोटी के बेस कैंप डोकरानी बामक ग्लेश्यिर पहुंच जाता लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के पूर्व प्रिंसिपल रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल ने निम के अधिकारियों से हुई बातचीत के आधार पर बताया कि द्रौपदी का डांडा टू चोटी पर एवलांच सुबह करीब पौने नौ बजे के आसपास आया। पर्वतारोही आपस में रोप के सहारे जुड़े हुए थे कि अचानक वह सभी एवलांच की चपेट में आ गए और ग्लेश्यिर में फंस गए। उन्होंने कहा कि यह वह समय था जब पर्वतारोही वापसी कर रहे थे।

 

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