इंद्रेश मैखुरी/
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सहायक लेखाकार की भर्ती परीक्षा रद्द किए जाने की सूचना आई है. गौरतलब है कि 48 विभागों के 600 सहायक लेखाकरों के पदों के लिए, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सितंबर 2021 में आयोजित करवाई गयी थी. नौ हजार अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा दी थी.
उक्त परीक्षा के रद्द किए जाने के पीछे जो कारण है, वो हैरान कर देने वाला है. बताया जा रहा है कि उक्त परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों में से 400 प्रश्न गलत थे. सोचिए कैसी परीक्षा थी, जिसमें 400 प्रश्न गलत थे. उक्त परीक्षा के प्रश्नों के हिन्दी अनुवाद पर भी सवाल उठा था और चर्चा थी कि प्रश्नों का हिन्दी अनुवाद गूगल ट्रांस्लेट के जरिये कर दिया गया था.
जुलाई 2020 में हुई वन दरोगा की परीक्षा में 1800 में से 332 सवाल परीक्षा से हटा दिये गए थे. कहा गया कि ये प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर से पूछे गए थे.
सवाल यह है कि उत्तराखंड सेवा अधीनस्थ सेवा आयोग, किन विषय विशेषज्ञों से प्रश्न पत्र बनवाता है, जिनके बनाए प्रश्न पत्र में हर बार या तो प्रश्न गलत होते हैं या उत्तर में झोल होता है ? गौरतलब है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित यह कोई पहली या इकलौती परीक्षा नहीं है, जिसके प्रश्नों के गलत होने का मामला सामना आया हो या जिस पर विवाद हुआ हो बल्कि अमूमन हर परीक्षा के साथ ही उसमें गड़बड़ी और प्रश्नों या उनके उत्तरों के मामले में विवाद होता रहा है. पेपर लीक, परीक्षा परिणामों पर विवाद और प्रश्नों या उत्तरों का गलत होना, यह उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के लिए अपवाद नहीं बल्कि नियम है.
और इस नियम की निरंतरता, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के भविष्य से निरंतर ही खिलवाड़ करती है.
लेकिन क्या किसी सरकार ने आयोग की लचर कार्यप्रणाली के विरुद्ध कभी कोई कदम उठाया ? जवाब है- नहीं. बल्कि मामला तो इसके उलट प्रतीत होता है.
आयोग के अध्यक्ष पद पर सेवानिवृत्त आईएएस एस.राजू 2016 से काबिज हैं तो सचिव पद पर संतोष बडोनी 2017 से जमे हुए हैं. इसी तरह परीक्षा नियंत्रक के पद पर पीसीएस अफसर एनएस डांगी 2016 से पदारूढ़ हैं. अलबत्ता इतने लंबे समय से पदों पर बैठे होने के बावजूद इन महानुभावों का परीक्षा पर नियंत्रण कम ही नज़र आता है.
अगर किसी परीक्षा कराने वाले आयोग की परीक्षाओं में सैकड़ों प्रश्न गलत हों तो परीक्षा देने वाले पास या फेल बाद में होंगे, परंतु वह आयोग तो पहले ही फेल है ! ऐसे फेल आयोग को उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य का फैसला करने का अधिकार कतई नहीं होना चाहिए. पहला इंतजाम यह हो कि यह आयोग फेल से पास हो, तब वह अभ्यर्थियों की परीक्षा ले !

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× हमारे साथ Whatsapp पर जुड़ें