शंखनाद INDIA/ देहरादून

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानि कैग की रिपोर्ट में 305.75 करोड़ का घोटाला सामने आया है| रिपोर्ट में कार्यों/योजनाओं में वित्तीय गड़बड़ी पाई गई है| विधानसभा सत्र में कैग की रिपोर्ट पेश की गई| 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के कार्यों को लेकर यह रिपोर्ट पेश की गई है| कैग की रिपोर्ट में भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना (टनकपुर-जौलजीबी मार्ग) की खामियों को विस्तार से बताया गया| इसके अलावा कैग की रिपोर्ट में प्रदेश में स्वास्थय सेवाओं को लेकर भी त्रिवेंद्र सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए|  2018-19 की कैग रिपोर्ट में साफ किया गया कि राज्य में स्वास्थ्य संसाधनों के मानक, मापदंड ही निर्धारित नहीं है। कैग ने लेखा परीक्षा के जरिए वर्ष 2014 से लेकर 2019 के बीच जिला, संयुक्त चिकित्सालयों और महिला अस्पतालों का हाल जाना। जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सुधार होना बेहद जरूरी है| इसके अलावा जिला और संयुक्त चिकित्सालयों में नवजात शिशुओं की देखरेख को लेकर भी सवाल किए गए| रिपोर्ट में पाया गया कि  60 में से केवल 27 नवजात शिशुओं की ही समय पर देखरेख की गई|

वहीं रिपोर्ट में आईपीएचएस यानि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक को अपनाए न जाने पर भी कई सवाल किए गए| रिपोर्ट में पहाड़ों में डॉक्टरों की कमी को लेकर भी सवाल किए गए| रिपोर्ट में कहा गया है कि पहाड़ों में डॉक्टरों की कम संख्या है जबकि मैदानों में जरूरत से ज्यादा पद भरे हैं| रिपोर्ट में बताया गया है कि पहाड़ों में स्वीकृत पदों पर भी पूरे डॉक्टर मौजूद नहीं हैं। जिससे वहां स्वास्थय सेवा लचर है|

इसके अलावा कैग रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि प्रदेश के जिला और संयुक्त अस्पतालों में ट्रामा जैसे मामलों से निपटने की भारी कमी है। और इस कमी के कारण ओपीडी में परामर्श के लिए प्रत्येक रागी को कुल पांच मिनट का समय दिया जा रहा है।इसके अलावा जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में दवाओं की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है|कैग की रिपोर्ट में उत्तराखंड की स्थान स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में 21 राज्यों में 17वें स्थान पर पाया गया है|