UTTARAKHAND NEWS

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील परियोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। भले ही आज त्रिवेंद्र रावत सीएम की कुर्सी पर नहीं हैं लेकिन उनके ड्रीम प्रॉजेक्ट पर विकास के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार घोटाला किया जा रहा है। अधिकारी इस परियोजना के नाम पर चांदी कांट रहे हैं और सरकारी खजाना खाली कर रहे हैं।

UTTARAKHAND NEWS

आपको बता दें कि त्रिवेंद्र रावत के ड्रीम प्रॉजेक्ट सूर्यधार झील परियोजना को लेकर विधानसभा में जो आंकड़े पेश किए गए हैं वो चौकाने वाले हैं इसमे भ्रष्टाचार की साफ तौर पर बू आ रही है लेकिन ये बू सरकार की नाक तक क्यों नहीं पहुंची ये बड़ा सवाल है. अधिकारी इस परियोजना में मनमर्जी चला रहे हैं और करोड़ों रुपयों को ठिकाने लगा रहे हैं लेकिन सरकार बेसुध पड़ी है।

UTTARAKHAND NEWS

जी हां बता दें कि जिस परियोजना के लिए 50.24 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई थी अधिकारियों द्वारा मनमर्जी से इसमे 12 करोड़ की बढ़ोतरी की गई है। इस परियोजना में 50.24 करोड़ रुपयों की जगह अब तक 62करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। बता दें कि इसके जांच के भी आदेश दिए गए थे. सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने शासन को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

5 जून को पानी का स्तर

आपको बता दें कि सूर्यधार झील परियोजना की घोषणा तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 29 जून, 2017 में की थी। 22 दिसंबर 2017 को परियोजना के लिए 50 करोड़ 24 लाख रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज केअनुसार उन्होंने 27 अगस्त, 2020 को सूर्यधार बैराज निर्माण का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान परियोजना को लेकर मिली शिकायतों और अनियमितताओं को देखते हुए उन्होंने मौके पर ही जांच के आदेश उच्च अधिकारियों को दिए। 16 फरवरी, 2021 को 3 सदस्यीय विभागीय जांच समिति का गठन किया। 31 दिसंबर 2021 को जांच समिति ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जांच रिपोर्ट में कंसल्टेंट की ओर से तैयार की गई डीपीआर को त्रुटिपूर्ण बताया गया। इसके अलावा तकनीकी परीक्षण में भी ठीक प्रकार से नहीं होने की बात कही गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डीपीआर कंसल्टेंट को कंसल्टेंसी के संबंध में जो 27 लाख रुपये का अनुचित भुगतान हुआ। इसे देखते हुए जांच समिति ने संबधित कंसल्टेंट के विरुद्ध भी कार्रवाई किए जाने की संस्तुति की।

8 की जगह ऊंचाई की 10 मीटर

ये तो हुई बजट की बात. अब बात करें इसकी ऊंचाई की तो सूर्यधार जलाशय के निर्माण में शुरु में 8 मीटर की ऊंचाई के बैराज के निर्माण कार्य का टेंडर सरकार द्वारा पास किया गया था लेकिन शासन की अनुमति के बिना इसकी ऊंचाई 10 मीटर करदी गई है जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ। जबकि जलाशय की ऊंचाई 13 मीटर के आसपास है.

विभाग के अनुसार झील की ऊंचाई बैराज निर्माण से जल सग्रंहण क्षमता 2.30 लाख घन मीटर दर्शाई गई है। जबकि 8 मीटर ऊंचाई पर 51113.40 घन मीटर जल संग्रहण ही प्राप्त होना बताया गया है जिसे 10 मीटर करने की प्राप्त भंडारण श्रमता 77575.80 घन मीटर की उपयुक्ता का आंकलन देहरादून के मुख्य अभियंता ने गठित समिति को द्वारा बताया है।

UTTARAKHAND NEWS

शंखनाद इंडिया के सूत्रों की माने तो 5 जून को शंखनाद की टीम सूर्यधार झील पहुंची तो झील में ऊंचाई नापने वाले मापक में जो दूरी दर्शाई गई है वो प्री बॉटम लेवल से 737 मीटर से 749 मीटर तक दर्ज की गई है। जिसकी ऊंचाई लगभग 13 मीटर होती है. जबकि उत्तराखंड विधानसभा में देहरादून के रायपुर से विधायक उमेश शर्मा काऊ ने नियम 300 के अंतर्गत ये प्रशन पूछा था कि देहरादून के अंदर सूर्यधार झील परियोजना का निर्माण कब और कितनी स्वीकृति के साथ हुआ?

विधायक उमेश काऊ द्वारा बताया गया कि  सूर्याधार लेक प्रॉजेक्ट में 55 करोड़ रुपये के निर्माण कार्य कराए जा चुके हैं. बैराज के सौदर्यकरण पहुंच मार्ग और आवासीय भवन निर्माण को सम्मिलित करते हुए 12 करोड़ का पुनरिक्षित प्रांकलन शासन को भेजा गया है।सूर्यधार झील परियोजना की टेंडर प्रक्रिया में विभगीय दर से 22 प्रतिशत अधिक दर एकल टेंडर के माध्यम से सूर्यधार झील का निर्मणा विवादों में रहा। इसी को लेकर रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने विधानसभा सत्र के दौरान इस प्रशन को नियम 300 के अंतर्गत उठाया था।

UTTARAKHAND NEWS

परियोजना की ऑडिट आपत्तियों को देखते हुए महालेखाकार के संप्रेक्षण दल ने इस परियोजना की विस्तृत जांच वित्त एवं तकनीकी समिति से कराए जाने की सिफारिश की। जिसमें कहा गया कि इसमें विभागीय व परियोजना से जुड़े अधिकारियों को जांच से दूर रखा जाना चाहिए। ऐसे में माना जा रहा है कि इस मामले की एक बार फिर विस्तृत जांच हो सकती है।

विभाग के अधिक्षण अभियंता आरके तिवारी ने अपने अधिशासी अभियंता को पत्र लिखकर कुछ बिंदुओं पर आख्या जानने की कोशिश की.ये पत्र अप्रैल 2022 के महीने में देहरादून के अधिशासी अभियंता को लिखा गया है। उनक बिंदुओं को हम निम्मवर बता रहे हैं-

1. वर्षा ऋतू में जलाशय का गेट खोलकर कितना पानी छोड़ा गया और कितनी बार छोड़ गया.

2. सूर्याधार जलाशय में वर्षा ऋतू के दौरान माह अप्रैल 2021 के प्रथम सप्ताह में जल का स्तर कितना रहा है एवं निगत वर्षाऋतू के उपरांत माह अक्टूबर 2021 जलाशय का स्तर कितना था.

3. इस जलाशय में विगत वर्ष में कितनी सींच दर्ज की गई एवं सींच से कितनी बढोतरी दर्ज की गई।इस जलाशय से वर्तमान में कितनी आबादी को पीने का पानी उपल्बध कराया जाया है.

4. आख्या उपलब्ध कराए. एंव जलाशय निर्माण से पूर्व कितनी आबादी को पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा था और जलाशय निर्माण के उपरांत कितनी आबादी पीने के पानी से लाभांवित हुई है.

सूर्यधार प्रॉजेक्ट मेंविभाग के सचिव द्वारा तीन सदस्य समिति का गठन किया गया है।सदस्य समिति को 30 दिसंबर 2021 में की गी संस्तुति के क्रम में उक्त परियोजना के कार्यों की जांच करने को कहा गया है लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी समिति की रिपोर्ट अधर में लटकी हुई है।देखना ये है कि सूर्याधार झील में बिना पानी के बनाए गए प्रॉजेक्ट पर सरकारी पैसों की बर्बादी पर उत्तराखंड सरकार कब संज्ञान लेगी और भ्रष्ट अभियंताओं पर नकेल कसकर कब कार्रवाई करेगी, यह अभी भविष्य के गर्भ में है।