नैनीताल। नन्ही परी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट से आरोपी की रिहाई के बाद अब इस केस से जुड़ी महिला अधिवक्ता को सोशल मीडिया पर दी जा रही धमकियों का मुद्दा उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुंच गया है। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी कर अपना पक्ष पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने पूछा है कि यदि कोई भड़काऊ या धमकी भरे पोस्ट करता है, तो उन्हें हटाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के पास क्या व्यवस्था है और क्या कोई ऐसी तकनीक मौजूद है जो ऐसे पोस्ट अपने आप डिलीट कर सके।
हाईकोर्ट ने एसएसपी और एसटीएफ देहरादून को भी पक्षकार बनाया है। साथ ही आईजी साइबर क्राइम को आदेश दिया गया है कि धमकी भरी या भड़काऊ पोस्टों को तत्काल हटाया जाए और ऐसा न करने वालों पर कार्रवाई की जाए।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि अधिवक्ता अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ अभियान चलाना निंदनीय है। उल्लेखनीय है कि 2014 में छह वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में आरोपी अख्तर को सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बरी किया था।

