मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। आज भी मणिपुर में दो समुदाय मैतेई और कुकी के बीच हिंसक झड़प दिखाई दे रही है। वहीं, बीते दिनों कुकी समुदाय की दो महिलाओं को मैतेई समुदाय के पुरुषों ने नग्न अवस्था में परेड करवाई। जिसके बाद पूरे देश में गुस्सा देखा जा रहा था। सोशल मीडिया पर लोगों ने कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी। लोगों में काफी गुस्सा देखा गया। हमले का वीडियो सामने आने तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा पर कोई भी बयान नहीं दिया था। लेकिन मानसून सत्र के पहले दिन उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि इस घटना ने “भारत को शर्मसार कर दिया है” और “किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा… मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता”।
मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा?
इसे समझने के लिए हमें मणिपुर का भौगोलिक स्थिति जानना चाहिए। इसके साथ ही हमें थोड़ा पीछे चलना चाहिए। दरअसल, मणिपुर की राजधानी इम्फाल बिल्कुल बीच में है। ये पूरे प्रदेश का 10% हिस्सा है, जिसमें प्रदेश की 57% आबादी रहती है। बाकी चारों तरफ 90% हिस्से में पहाड़ी इलाके हैं, जहां प्रदेश की 43% आबादी रहती है। इम्फाल घाटी वाले इलाके में मैतेई समुदाय की आबादी ज्यादा है। ये ज्यादातर हिंदू होते हैं। मणिपुर की कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 53% है। आंकड़ें देखें तो सूबे के कुल 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं। वहीं, दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों में 33 मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं। इनमें प्रमुख रूप से नगा और कुकी जनजाति हैं। ये दोनों जनजातियां मुख्य रूप से ईसाई हैं। इसके अलावा मणिपुर में आठ-आठ प्रतिशत आबादी मुस्लिम और सनमही समुदाय की है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 371C के तहत मणिपुर की पहाड़ी जनजातियों को विशेष दर्जा और सुविधाएं मिली हुई हैं, जो मैतेई समुदाय को नहीं मिलती। ‘लैंड रिफॉर्म एक्ट’ की वजह से मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदकर बस नहीं सकता। जबकि जनजातियों पर पहाड़ी इलाके से घाटी में आकर बसने पर कोई रोक नहीं है। इससे दोनों समुदायों में मतभेद बढ़े हैं।
मणिपुर में हिंसक झड़प कैसे शुरू हुई?
मणिपुर में 3 मई से हिंसा की शुरुआत हो चुकी थी। मणिपुर में तीन मई को मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच हिंसा शुरू हुई थी। दरअसल, मणिपुर में मैतेई समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए। मणिपुर में तनाव तब और बढ़ गया जब कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय की आधिकारिक जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग का विरोध करना शुरू कर दिया। इसे लेकर कुकियों ने तर्क दिया कि इससे सरकार और समाज पर उनका प्रभाव और अधिक मजबूत होगा, जिससे उन्हें जमीन खरीदने या मुख्य रूप से कुकी क्षेत्रों में बसने की अनुमति मिल जाएगी। कुकियों का कहना है कि मैतेई के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा छेड़ा गया नशीली दवाओं के खिलाफ युद्ध उनके समुदाय को उखाड़ने का एक बहाना है। म्यांमार से हो रहे अवैध प्रवासन ने तनाव को और बढ़ा दिया है। बढ़ती आबादी के कारण भूमि उपयोग पर दबाव है।
हिंसा की तीन वजहें
1. मैतेई समुदाय के एसटी दर्जे का विरोध: मैतेई ट्राइब यूनियन पिछले कई सालों से मैतेई समुदाय को आदिवासी दर्जा देने की मांग कर रही है। मामला मणिपुर हाईकोर्ट पहुंचा। इस पर सुनवाई करते हुए मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 19 अप्रैल को 10 साल पुरानी केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय की सिफारिश प्रस्तुत करने के लिए कहा था। इस सिफारिश में मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने मैतेई समुदाय को आदिवासी दर्जा देने का आदेश दे दिया। अब हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच केस की सुनवाई कर रही है।
2. सरकार की अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई: आरक्षण विवाद के बीच मणिपुर सरकार ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई ने आग में घी डालने का काम किया। मणिपुर सरकार का कहना है कि आदिवासी समुदाय के लोग संरक्षित जंगलों और वन अभयारण्य में गैरकानूनी कब्जा करके अफीम की खेती कर रहे हैं। ये कब्जे हटाने के लिए सरकार मणिपुर फॉरेस्ट रूल 2021 के तहत फॉरेस्ट लैंड पर किसी तरह के अतिक्रमण को हटाने के लिए एक अभियान चला रही है। वहीं, आदिवासियों का कहना है कि ये उनकी पैतृक जमीन है। उन्होंने अतिक्रमण नहीं किया, बल्कि सालों से वहां रहते आ रहे हैं। सरकार के इस अभियान को आदिवासियों ने अपनी पैतृक जमीन से हटाने की तरह पेश किया। जिससे आक्रोश फैला।
3. कुकी विद्रोही संगठनों ने सरकार से हुए समझौते को तोड़ दिया: हिंसा के बीच कुकी विद्रोही संगठनों ने भी 2008 में हुए केंद्र सरकार के साथ समझौते को तोड़ दिया। दरअसल, कुकी जनजाति के कई संगठन 2005 तक सैन्य विद्रोह में शामिल रहे हैं। मनमोहन सिंह सरकार के समय, 2008 में तकरीबन सभी कुकी विद्रोही संगठनों से केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन यानी SoS एग्रीमेंट किया। इसका मकसद राजनीतिक बातचीत को बढ़ावा देना था। तब समय-समय पर इस समझौते का कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा, लेकिन इसी साल 10 मार्च को मणिपुर सरकार कुकी समुदाय के दो संगठनों के लिए इस समझौते से पीछे हट गई। ये संगठन हैं जोमी रेवुलुशनरी आर्मी और कुकी नेशनल आर्मी। ये दोनों संगठन हथियारबंद हैं। हथियारबंद इन संगठनो के लोग भी मणिपुर की हिंसा में शामिल हो गए और सेना और पुलिस पर हमले करने लगे।
महिलाओं को नग्न कराकर घूमाने का किनपर लगा है आरोप?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वायरल वीडियो में जिन दो महिलाओं को नग्न करके घुमाया जा रहा है, वो कुकी समुदाय की हैं। यह वीडियो चार मई का बताया जा रहा है, जब हिंसा शुरुआती चरण में था। महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का आरोप मैतई समुदाय के लोगों पर लगा है।
इस मामले में पुलिस ने अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया है। उधर, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भी मामले की जांच के लिए अलग टीम गठित कर दी है। केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार से इस मसले पर रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने भी मुख्यमंत्री से बात की।